दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम, 1958 के तहत प्रपत्र 'सी' नियम
किराए की जमा राशि के लिए आवेदन
कोर्ट में............
सीडी ......................................... ............... याचिकाकर्ता
बनाम
सीएफ़...................................................... ................. मकान मालिक
वह परिसर जिसके लिए किराया जमा किया गया है, परिसर की पहचान करने के लिए पर्याप्त विवरण के साथ।
वह अवधि जिसके लिए किराया जमा किया गया है और दर प्रति माह।
से…..से……..रुपये ………………माह तक। रु.................(रु..................केवल)
मकान मालिक या उस व्यक्ति या व्यक्तियों का नाम और पता जो इस तरह के किराए के हकदार हैं।
कारण एवं परिस्थितियाँ जिनके लिए किराया जमा करने के लिए आवेदन किया गया है
श्री ……… किराया प्राप्त कर रहा है ………………
जमा की गई किराए की राशि
रु. …………….. (रु. …………..केवल)
क्या बिजली, पानी के शुल्क में संपत्ति कर आदि शामिल नहीं है, किराए में शामिल है और यदि हां, तो उसका विवरण।
शामिल नहीं
कैसे मकान मालिक को दिया गया किराया याचिकाकर्ता द्वारा किराए का भुगतान हमेशा किया जाता है चाहे वह व्यक्ति हो या डाक मनीआर्डर या चेक द्वारा, और क्या उसके द्वारा अन्यथा लिखित रूप में मना कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता को हमेशा किराए का भुगतान किया जाता है ……………… चेक के माध्यम से ………………………………..
संलग्न शीट के अनुसार उस व्यक्ति या व्यक्तियों को, जिन्हें किराया देय है, वास्तविक संदेह है या नहीं और यदि ऐसा है तो क्यों?
संलग्न शीट के अनुसार।
जिस तारीख को उस व्यक्ति को किराए का भुगतान अंतिम बार किया गया था, उससे प्राप्त रसीद।
…….. की अवधि के लिए किराए का भुगतान किया गया है
कोई अन्य प्रासंगिक जानकारी
ऊपर दिए गए विवरण मेरी सर्वोत्तम जानकारी और विश्वास के अनुसार सत्य हैं और मैं, आवेदक/मान्यता प्राप्त है और इसके आवेदन पर हस्ताक्षर किए हैं। ............
SSआवेदक/मान्यता प्राप्त एजेंट के हस्ताक्षर
निर्णय विधि
जहां पार्टियों ने किराए के बकाया के लिए एक मुकदमे में समझौता किया, जिसके द्वारा किरायेदार ने किराए के बकाया के रूप में कुछ राशि के भुगतान के साथ स्वेच्छा से कब्जा छोड़ दिया था, किरायेदार द्वारा धारा 19 (2) के तहत परिसर में फिर से प्रवेश के लिए आवेदन- मकान मालिक द्वारा निर्धारित अवधि से पहले इसे देना अनुरक्षण योग्य नहीं था।1
शब्द "किराए की बकाया कानूनी रूप से वसूली योग्य" - दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 14(1) के प्रावधान (ए) में होने वाली
दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम, 1958 की धारा 14(1) के प्रावधान (ए) में कहा गया है कि मांग के नोटिस के दो महीने के भीतर किरायेदार द्वारा "कानूनी रूप से वसूली योग्य किराए की बकाया राशि" का भुगतान करने में विफलता पर उसे बेदखल किया जा सकता है। यदि किराए के बकाया की वसूली के लिए जमींदारों का दावा सीमा से बाधित होने के कारण कानून की अदालत में लागू नहीं होता है तो राशि कानूनी रूप से वसूली योग्य नहीं होती है।2
शब्द "परिसर" का अर्थ (डीआरए की धारा 2)
शब्द "परिसर" का तात्पर्य किरायेदारी की विषय वस्तु से है जिसके संबंध में जमींदार और किरायेदार का कानूनी संबंध है और जिसके संबंध में उनके बीच किराए की मात्रा पर सहमति है।3
नोटिस की सेवा
(डीआरए 14(एल)(ए))
जब डाकिया की जांच की गई और इनकार साबित हुआ तो इनकार करने से वैध सेवा हो सकती है जो जिरह में हिली नहीं थी।4
1. विद्या धारी भगत बनाम मैसर्स। इलाहाबाद लॉ जर्नल कंपनी लिमिटेड, ए.आई.आर. 1990 एस.सी. 1015।
2. कमला बख्शी बनाम खैरातीलाल, एआईआर 2000 एससी 1808।
3. कमला देवी बनाम लक्ष्मी देवी, एआईआर 2000 एससी 1640।
4. राजिंदर प्रसाद बनाम श्रीमती। दर्शना देवी, 2001 (4) सीसीसी 7 (एससी)।
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